#विषय –रक्षा बंधन
#विषय –रक्षा बंधन
सिर्फ बंधन को विश्वास नही कहते ,
हर पल आसू को ज़ज्वात नही कहते।
किस्मत से मिले जो रिश्ते जिंदगी मे,
इसलिए उन रिश्तों मजाक नही कहते।
मिलना -जुलना ख़ुशी वाटना पर्व में ,
नफरत और ब्यग्य न बनाती धाक हैं।
शौरत और पैसे के लिए बिक जाता
हर रिश्ता यहाँ बना संस्कृति पाक हैं।
.वोह रोये तो यूँ रोये चुनरी मे चेहरे आंक
दुनिया मे दोस्ती रहती हमेशा ताक हैं।
कोई मजबूरी होगी गम दिल सिसकिया.
सिर्फ राखी बंधन ही नही यह ज़ज्वात हैं ।
जो करते रहते से अच्छा बुरा कटाक्ष हैं
अपने से खोकर मन बेबाक खुद खोजते ।
क्या सही हमारा बंधन की दुनिया बात हैं.
ये तो माँ जाई रक्त की बूंदो की एक ज़ात हैं।
रेखा मोहन पंजाब