विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
विद्या-कविता
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
बदल गया है अब आसमां,
बदल गई है जमीं।
न सुनता कोई किसी की अब,
बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
हर इंसान अब मतलब का हुआ।
न कोई सलाम किसी से, न कोई दुआ।
न अब वो सच के शोले रहे,
न इंसानियत की रही नमी।
बन मतलबी सामने से गुजरता है आदमी।
बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
न किसी की आह सुनता कोई,
न सही राह चुनता कोई।
हमदर्दी के अहसास की जैसी,
न बची अब जमीं।
बन मतलबी सामने से गुजरता है आदमी।
बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
न जानी मानवता,
न सही समझ पाई।
एक मूर्ख अज्ञानता में ही,
जैसे दुनिया समाई।
न जाना ये कि इंसानियत से ही,
दुनिया है थमी।
बिन समझे सामने से गुजरता है आदमी।
बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
नई दिल्ली-78