विषय – बादल
जलद तुम
बरसे कमतर
गरजे ज्यादा ।
अब तो मेघा
तृप्त करो धरणी
प्यास बुझाओ ।
हे जलधर
बल भर बरसो
कर्ज़ उतारो ।
स्लरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/07/2021 )
जलद तुम
बरसे कमतर
गरजे ज्यादा ।
अब तो मेघा
तृप्त करो धरणी
प्यास बुझाओ ।
हे जलधर
बल भर बरसो
कर्ज़ उतारो ।
स्लरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 08/07/2021 )