विषय-बंधन कैसे-कैसे
विषय-बंधन कैसे-कैसे
शीर्षक-बन्धन जरूरी जीने के लिए।
विद्या-कविता।
अगर बंधन प्यार का,
तो करार आता है।
मुस्कुराता है इश्क,
हुस्न पे निखार आता है।
बंधन जरूरी है,
जीने के लिए।
बंधन अगर शुद्ध तो,
बने अमृत पीने के लिए।
बन्धनों से बदले रूप जिंदगी,
न जाने कैसे-कैसे?
चलते-चलते मिले,
बंधन कैसे-कैसे।
इस जग में बंधन की माया है।
आगे-आगे चलें हम,
पीछे बंधन का साया है।
बंधन से ही सम्बन्ध बनाया है।
कभी आता समझ,कभी बस भरमाया है।
शरीर का आत्मा से,
जब तक बन्धन है।
तब तक हैं हम जिंदा,
तब तक जीवन है।
बंधन हैं फूलों जैसे,
जीवन एक चमन है। जुड़ा मन से मन,
तब तक प्यारा बंधन है।
बंधन में जब विश्वास है।तब उसमें आस है।
बंधन कोई गुलामी नहीं,
प्रेम का निवास है।
बंधन जो बंधे खुशी से,
वही राधा-कृष्ण का रास है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
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