Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

विषय-किस्मत की कृपा।

विषय-किस्मत की कृपा।

कृपा करो हे भगवान,
ये कहते-कहते जिंदगी कट गई।
न हुई कोई कृपा उसकी,
जिंदगी जीने से हट गई।

कृपा होगी हम पर,
जब हम ये सोचते हैं।
अपने स्वप्न-आसमां के तारें,
तब खुद ही नोचते हैं।

तड़पी हूँ मैं भी बहुत,
रोई जिंदगी आपकी भी।
पर कब किसी ने दुःख की पीर माफ की?
दर्द से मैली जिंदगी…
कब उस भगवान ने साफ की?
नाइंसाफी ही रही जिंदगी,
कब बनी जिंदगी इंसाफ की?

कब तक,”प्रिया”भ्रम में ही रहेगी?
होगी कृपा उस भगवान की मुझ पर,
ये सोचती रहेगी?

न चाहती अब कृपा भगवान की मैं,
न चाहती कृपा किसी इंसान की।
अगर कृपा चाहनी ही है,
तो चाहूँ कृपा किस्मत के जहान की।

कृपा किस्मत की होगी,
तो ख़ुशी मिलेगी।
न रोएगी जिंदगी;
जब जिंदगी की जिंदगी,
किस्मत से मिलेगी।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
सर्वाधिकार सुरक्षित

2 Likes · 52 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बरसात
बरसात
Swami Ganganiya
कृषक
कृषक
Shaily
कैसे भूल जाएं...
कैसे भूल जाएं...
इंजी. संजय श्रीवास्तव
" मन भी लगे बवाली "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
मैं ज़िंदगी के सफर मे बंजारा हो गया हूँ
Bhupendra Rawat
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
गुरूर चाँद का
गुरूर चाँद का
Satish Srijan
*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*
*दो दिन का जीवन रहा, दो दिन का संयोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अपने लक्ष्य की ओर उठाया हर कदम,
अपने लक्ष्य की ओर उठाया हर कदम,
Dhriti Mishra
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डी. के. निवातिया
3258.*पूर्णिका*
3258.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धमकियां शुरू हो गई
धमकियां शुरू हो गई
Basant Bhagawan Roy
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
कोई नाराज़गी है तो बयाँ कीजिये हुजूर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
तुम्हारी आंखों के आईने से मैंने यह सच बात जानी है।
शिव प्रताप लोधी
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
धूतानां धूतम अस्मि
धूतानां धूतम अस्मि
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
वक्रतुंडा शुचि शुंदा सुहावना,
Neelam Sharma
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
मेरी भावों में डूबी ग़ज़ल आप हैं
Dr Archana Gupta
साक्षात्कार-पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
साक्षात्कार-पीयूष गोयल(दर्पण छवि लेखक).
Piyush Goel
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
सब कुछ छोड़ कर जाना पड़ा अकेले में
कवि दीपक बवेजा
शायरी-संदीप ठाकुर
शायरी-संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
इंसान कहीं का भी नहीं रहता, गर दिल बंजर हो जाए।
इंसान कहीं का भी नहीं रहता, गर दिल बंजर हो जाए।
Monika Verma
"मैं" के रंगों में रंगे होते हैं, आत्मा के ये परिधान।
Manisha Manjari
गांधी जी के नाम पर
गांधी जी के नाम पर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काश
काश
हिमांशु Kulshrestha
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
छोड़ चली तू छोड़ चली
छोड़ चली तू छोड़ चली
gurudeenverma198
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
दुनिया की हर वोली भाषा को मेरा नमस्कार 🙏🎉
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अनुप्रास अलंकार
अनुप्रास अलंकार
नूरफातिमा खातून नूरी
Loading...