विषय:गुलाब
विषय:गुलाब
हाइकु
एक पौधा
आंगन में
चमक रहा है ।
अपनी ही मैं
अकड़ रहा है
उसने एक गुलाब
खिलाया हुआ है।
सुर्ख लाल
एकदम मखमली
जिसकी नजर
उस पर पड़े
बस उसे ही
निहारता रह जाए।
अपने हरे भरे
पत्तों में
छुपाया हुआ है
क्योंकि
वह भी जानता है
आज गुलाब दिवस है।
सबको चाहत
उस मखमली
गुलाब की है
इसलिए वह भी
खुद में अपनी
अहमियत को
परखे हुए हैं।
हरमिंदर कौर, अमरोहा
@मौलिक रचना