विषय:क्या पुनर्जन्म या पूर्वजन्म होता हैं
विषय:क्या पुनर्जन्म या पूर्वजन्म होता हैं
आज हम एक रहस्य जैसे विषय पर बात करने आये है। जीवन क्या है मृत्यु क्या हैं ये दोनों क्यूं हैं कब तक है कब तक नही कैसे कारण बनते है कि जन्म होता हैं क्या कारण होता हैं कि मृत्यु होती हैं और क्यूं होती हैं।जन्म से ही सुनती आ रही हूँ कि जो पैदा हुआ उसको एक दिन मरना भी अवश्य है तो चलिए जानते है जो भी सुना अब तक पढ़ा अब तक ।मुझे मालूम नही सच क्या हैं क्यो हैं..?
जब जीवात्मा एक शरीर का त्याग करके किसी दूसरे शरीर में जाती है तो इस बार बार जन्म लेने की क्रिया को पुनर्जन्म कहते हैं ऐसी गतिविधि को ही अब तक सुना है
पुनर्जन्म यानी पिछला और यह जीवन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। इस मनुष्य लोक में प्राणी मात्र को लाखों योनियां जन्म-जन्मातर तक भोगनी पड़ती हैं। ऐसा माना जाता है कि सर्प यानी नाग को अपने सात जन्मों की सम्पूर्ण स्मृति दिमाग में रहती है।सत्यता का कोई प्रमाण नही है किसी ने कहा किसी ने लिखा बस यही तथ्य हैं।अभी तक कोई ऐसा व्यक्ति मेरे सामने नही आया जो पुनर्जन्म लेकर पिछला सारा याद रखे हो जो सत्य भी हो।आज लाइम लाइट में आने के लिए भी कुछ लोगो द्वारा ये फैलाया जा रहा है पर सच कीसी को भी नही मालूम।
अब यही सुनने व पढ़ने में आया है
इस जन्म के संस्कार सूक्ष्म रूप से अन्तर्मन में प्रवेश होकर सूक्ष्म आत्मा से घुल मिल जाते हैं और मरने के बाद भी वे संस्कार अगले जन्म को स्थानांतरित हो जाते हैं । अपने पूर्व जीवन की स्मृति सूक्ष्म रूप में प्रत्येक व्यक्ति के मनोमस्तिष्क में रहती ही है, भले ही वह उसके सामने कभी निंद्रावस्था में स्वप्न के माध्यम से प्रकट हो या जाग्रतावस्था में ही बैठे-बैठे उसके मानस में किसी विचार अथवा किसी बिंब के माध्यम से प्रकट हो।
एक प्रश्न जो सदैव ही मन को कचोटता हैं कि: क्या पुनर्जन्म के कोई प्रमाण हैं?
उत्तर हमेशा हाँ है ही मिला पर सामना करनेवाले किसी से नही भ हम तुम सब ही जो सुनी ओर पढ़ी ही बताते हैं।जब किसी छोटे बच्चे को देखो तो वह अपनी माता के स्तन से सीधा ही दूध पीने लगता है जो कि उसको बिना सिखाए आ जाता है क्योंकि ये उसका अनुभव पिछले जन्म में दूध पीने का रहा है, वर्ना बिना किसी कारण के ऐसा हो नहीं सकता । दूसरा यह कि कभी आप उसको कमरे में अकेला लेटा दो तो वो कभी कभी हँसता भी है , ये सब पुराने शरीर की बातों को याद करके वो हँसता है पर जैसे जैसे वो बड़ा होने लगता है तो धीरे धीरे सब भूल जाता है। मुझे सत्यता की सदेवहीँ अभिलाषा रही पर कभी संतुष्टि देना वाला उत्तर नही मिल पाया कि आखिर सत्य है क्या।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद