विषय:आजादी।
विषय:आजादी।
शीर्षक:इंसानियत ही है धर्म।
विद्या:कविता।
भाषा:हिंदी
रचनाकार:प्रिया प्रिंसेस पवाँर
आजादी है जरूरी,जीने के लिए।
सिर्फ साँस चलना ही, नहीं जिंदगी।
जीवन तो बना;आजादी काअमृत,पीने के लिए।
सिर्फ खाई रोटी और गहरी नींद सोते रहे।
इंसान होकर भी,इंसानियत खोते रहे।
देखा किसी का दर्द पर अनदेखा किया।
न समझा किसी का, तड़पता जिया।
किसी पर अत्याचार हुआ और आप हँसते रहे।
निर्दोष पर ही ताने,कसते रहे।
पाप होता देखकर भी, रखी ख़ामोशी…
ये कैसी आजादी है?
क्या आज का इंसान…
इंसानियत की लाश ढोने का आदी है?
आजादी सिर्फ तन से ही नहीं, मन से भी होती है।
इंसानियत ही है धर्म।
फूलों की दोस्ती सिर्फ, चमन से होती है।
पवित्र आजाद बनो,
पाकर पवित्र आजादी।
ताकि खिले ये दुनिया,
खिले इंसानियत की वादी।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक रचना
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
सर्वाधिकार सुरक्षित।