#विश्व_संस्कृत_दिवस
#विश्व_संस्कृत_दिवस
■ हमारी पावन संस्कृति की संवाहक देवभाषा।
【प्रणय प्रभात】
लोक-मंगल और विश्व-कल्याण के भावों से परिपूर्ण देवभाषा के रूप में सर्वमान्य संसार की आद्यभाषा, समस्त भाषाओं की जननी व सनातन विश्व संस्कृति की पोषक धात्री संस्कृत भाषा दिवस (श्रावण शुक्ल पूर्णिमा) के पुनीत अवसर पर देवभाषा के विद्वतजनों व संस्कृतप्रेमियों को आत्मीय बधाई।
गर्व करें कि सभ्यता व संस्कृति की आदिकालीन संवाहक हमारी अपनी देवभाषा ने समूची दुनिया को ज्ञान-विज्ञान के महानतम सूत्र दिए। गौरव कीजिए कि “वसुधैव कुटुम्बकम” की समरसतापूर्ण अवधारणा के साथ स्वस्ति के मंत्र भी संसार को इसी भाषा से मिले।
कृतज्ञ रहिए कि देव-दुर्लभ मानव योनि को धन्य करने वाले सभी आदि-ग्रन्थों का उपहार हमें इसी महान भाषा में मिला। यही नहीं, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर के अनगिनत संगठनों को बोध व ध्येय-वाक्य भी देवभाषा ने ही दिए।
वेद, पुराण, उपनिषद व संहिताओं से लेकर रामायण, महाभारत, श्रीमद्भागवत और श्रीमद्भगवत गीता तक के संदेश की संवाहक संस्कृत को कोटिशः नमन्।।
●सम्पादक●
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