” विश्व शांति “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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लगा लूँ पंख
हाथों में
क्षितिज के पार
उड़ जाऊँ
मिलूँ मैं सारी
दुनियाँ से
सभी का
प्रेम मैं पाऊँ
नहीं नफ़रत से
जीना है
रहेंगे शांति से
हम सब
नहीं होगी
कभी रंजिश
मिलेंगे प्यार से
हम सब
लड़ेंगे हम
तो बिखरेंगे
न कोई साथ
में होगा
मिटेगी अपनी ही
हस्ती
न कोई
काम ही देगा
रहेंगे जन्मों
तक पीछे
यदि संग्राम में उलझे
नहीं कोई
काम ही होगा
रहेंगे हम नहीं सुलझे
करेंगे हम
भ्रमण जग का
सभी को
हम जगाएँगे
रहें हम
एक गुलशन में
यही सब को बताएँगे !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
20.10.2024