विश्व रंगमंच दिवस
विश्व रंगमंच दिवस (27 मार्च)
सारे संसार में हर नर नारी एक कलाकार है,
हर जगह मौजूद हैं रंगमंच साथ कलाकार हैं ।
शरीर अपना है और अभिनय किसी ओर का,
भूखा, भिखारी, गरीब सब के सब कलाकार हैं।
रंगमंच पर कोई नाटक करता, करता कविता पाठ,
कोई किसान की व्याथा गाता वो भी कलाकार है ।
कोई बनता चोर, कोई बनता नेता, कोई बनता गरीब,
एक रंगमंच के ऊपर कितने छिपे हुए सब कलाकार है।
कोई कठपुतली से खेल दिखाता, कोई बनता मदारी,
गांव गांव गली गली में घुमे ये भी तो कलाकार है।
अभिनय किसी का भी हो वो चित्रण करता सदा यथार्थ,
सपना दिखाता बड़े बड़े खुद बनता छोटा कलाकार है।
अभिनय में सभी पड़ाव पर होकर गुजरती जिंदगी,
खिलाड़ी रंगमंच का, संगीत मेरा मित्र बिन इन कैसा कलाकार है।
हर किरदार में बसती रसती आत्मा से जीने की लत,
नृत्य में मैं,मेरे में नृत्य,सब समा जाने वाला ही कलाकार है।
खूबसूरती मेरी बनती पहनता हूं जब मैं किरदारी कपड़े,
ताली में सब रम जाते सब में ताली तभी सब कलाकार हैं ।
खान मनजीत भी रंगमंची करता रोज़ अलग अलग रचना,
रचना में बसता रमता कहता सुनता सब करता कलाकार है।
खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ तहसील गोहाना सोनीपत हरियाणा