विश्व महिला दिवस
मां बहिन भगिनी और बेटी , नारी तेरे कितने रूप।
ले खड्ग तलवार हाथ में, कभी धरे देवी स्वरूप।।
बेटी बन फुदके गौरैया सी, महकाए तू घर आंगन।
बारिश की सोंधी खुशबू सी, हरसाए तू सबका मन।।
द्वार बैठकर बाट जोहती, अपलक नैन राह देखती।
दुख सहकर हमें है पाला, ओडे हुए फटा दोसाला।।
भूखे रहकर हमें खिलाती, लोरी गाकर हमें सुलाती।
ना रंजिश ना कोई शिकायत, मां तेरा है देवी रुप।।
लड़ जाए तो लक्ष्मी बाई, अड जाए तो पन्ना धाई।
जीवन की परिभाषा बदली, भगिनी बन घर तू आई।
सीता बन वन वन घूमे तू, राजमहल का ऐश्वर्य कहां है।।
नारी तू साश्वत जगत में, रावण का अभिमान कहां है।
नारी तू नारायणी, धरती भी है नारी का रूप।।