विश्व बंधुत्व
विश्व बंधुत्व का नारा है।
देता हैं भारत देश हमारा
मानवता में ही जीवन सारा हैं।
विध्वंसक अहंकार हर पल
जीवन- मृत्यु डराती पल पल
स्वयं को जो साध लिया ।
अहंकार वृत्ति को जो पार किया
वहीं विश्व जीवन रक्षक है।
हिंसा युद्ध विनाशक है।
जो समूल में मानवीय गुणों का नाशक है।
संवाद के जगह हर क्षेत्र में विवाद हैं।
जो जीवन खास है
उसका ही महाविनाश।
हे ईश्वर,
संभल जाए फिर से जीवन।
छा जाए आनंद दे वरदान
नए संकल्प सारे देश में भाईचारा हो।
विश्व बंधुत्व का नारा हो
करें एक – दूसरे का सम्मान
संभल जाए फिर से जीवन
गुजर जाए विश्व युद्ध विकट पल_ डॉ. सीमा कुमारी , बिहार,भागलपुर
दिनांक-16-2-022 की स्वरचित रचना है जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।