विश्व पर्यावरण दिवस 💐💐
एक बीज रोप देना अंदर मिट्टी में या
एक छोटा सा पौधा भी तो चलेगा
यूं ही कहीं भी रास्ते चलते हुए
सड़क के किनारे या किसी की
देख रेख में या किसी बगीचे में
मैं पनपूंगा किसी भी तरह
अपनी पूरी ताकत से
बहुत जरूरी है मेरा पनपना
मेरा बढ़ना,तुम नहीं रह पाओगे
मेरे बगैर,तो क्या मैं रह पाऊंगा ?
कहीं मैं बहुत पौष्टिकता के साथ बढूंगा
कहीं मैं यूँ ही निज स्वभाववश
बढ़ जाऊंगा
जब मैं दिखने लगूंगा
सभी कितने खुश होंगे
पहले मैं सभी का मित्र बनूंगा फिर
मैं एक विराट रूप लेकर
सबका सहारा
मेरे शाख पर फिर
एक परिवार का नीड़ होगा
कितने कोमल और प्यारे
छोटे छोटे शिशु होंगे
उनकी चीं चूं स्वर से मुझे
कितना सुकून मिलेगा
पक्षियों के कलरव से मैं
आत्म विभोर हो जाऊंगा
भीषण गर्मी और अग्नि सम
धूप में मैं सबको
अपने आगोश में समेट
अपार आनंद का अनुभव करूंगा
जब मुझ से ही जन्म लिए कागज
पर लिखा होगा पेड़ मत काटो
मैं खुशी से झूम जाऊंगा
थके हारे मुसाफिर जब रुकेंगे
थोड़ी देर सुस्ताने को
मैं अपने शाखों के पत्तों से
ठंडी हवाओं का झोंका दूंगा
एक छोटी सी बेल मेरे ऊपर चढ़
अपना साम्राज्य बसाएंगी
वो बढ़ेंगी, फैलेंगी और मैं अपने
अस्तित्व की परवाह किए बगैर
उसका सहारा बनूंगा,मेरे फल
मेरे फूल का इंसान,पक्षी
और देवता भी स्वाद लेंगे
झुक जाऊंगा मैं, पशु भी मेरे पत्तों से
अपनी भूख मिटाएंगे
जब कभी कहीं से खोखला हो जाऊं
तो आ के रह लेना गिलहरी
और तुम छोटी चिड़िया भी
सूख गए मेरे पत्ते गिरेंगे और किसी
गरीब का चूल्हा उस पत्ते से जलेगा
उस दिन मेरी आत्मा तृप्त हो जाएगी
यदि भूल चूक से कभी मैं सूख जाऊं
या काट दिया जाऊं तो
मरकर भी किसी के सोने,बैठने के काम आऊं
या किसी चिता के साथ मुझे भी मोक्ष मिले
परंतु,एक बीज ,एक पौधा,अवश्य मिट्टी में
दबा देना!!!!!
नूतन दास
स्वरचित( मौलिक)