विश्व की पांचवीं बडी अर्थव्यवस्था
भारत विश्व की पांचवीं
सबसे बडी अर्थ-व्यवस्था
आप हंस क्यों रहे हैं,
कम से कम रोना मत :-
.
एक अकेला सब पर भारी,
हो भी क्यों ना,
किसी की सेहत पर क्या फर्क पडता है,
अस्सी करोड़ भारतीय (सरकारी आंकड़ों में)
पांच किलो के पैकेट (जिस पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के छाया चित्र ) अंकित हैं, मुख पर हंसी,, चेहरे पर चमकते दांत,, कुछ बयां कर रहे हैं, क्यों इसे लानत माना जाना था, ये संख्या घट जानी चाहिए थी, लेकिन उनके लिए ये गौरव की बात,, विषय चिंता का है,,, लोग कहते हैं, मोदी है तो मुमकिन है,, हम भी कहते है, किसी भी देश के प्रधानमंत्री को ऐसा, होना चाहिए,
मेरे सामने दुविधा ये है कि :- मैं मायूस होकर, क्या करूंगा, मैं खुशी मना लेता हूं ।.। क्या आपका जमीर ये गवाही देगा,, मुफ्त राशन :-
(आरजेडी सांसद मनोज झा) कहते है, मुफ्त जैसा लोकतंत्र में कुछ होता नहीं है, वे भी पैकेज के अलावा खरीद करते है, शिक्षा, चिकित्सा, यात्रा, शादी, विवाह, अनेकों उत्सव वे भी मनाते हैं, इतने अधिक बोझ तले मत दबाइए, सभापति महोदय !!!
.
यहां पर अमेरिका के पेंटागन सेंटर से भी बडा
सूरत में हीरे का व्यापार केंद्र खुद गया है,
1.5 लाख रोजगार पैदा होंगे ।.।। और
नरेन्द्र दामोदरदास मोदी की गारंटी थी,
हर वर्ष दो करोड़, लोगों के लिए रोजगार अवसर पैदा करने की, इतने नौकर तो नौकरी मुक्त हो चुके हैं, और अभी बादल मंडराने छंटे नहीं है .।।
@OPS old pension scheme बंद हो चुकी है ~ ये मोदी की गारंटी है ~