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18 Jul 2024 · 1 min read

विश्व कविता दिवस

प्रेम नगर के प्रेम डगर पर,
जो बहको तो कविता हो।
मेरे स्वप्न वृक्ष की डाली,
पर चहको तो कविता हो।

एक खण्डहर में वर्षों से,
नैना राह तके ‘डिम्पल’
मन-मरुथल में आकर तुम,
गर महको तो कविता हो।

यदि बादल सी बरसो तुम,
मन मयूर यह झूम उठे।
पाँव पड़ें जहँ-कहीं तुम्हारे,
अधर भूमि को चूम उठें।

प्रेम वृक्ष की प्रेम डाली पर,
गर लहको तो कविता हो।
मन-मरुथल में आकर तुम,
गर महको तो कविता हो।

जीवन के झंझावातों में,
हरियाली तुम उपवन की।
बारिश की बूंदें तुमसे है,
तुम ही घटा हो सावन की।

प्रेम कुंड की प्रेम अग्नि में,
जो दहको तो कविता हो।
मन-मरुथल में आकर तुम,
गर महको तो कविता हो।

@स्वरचित व मौलिक
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️
विश्व कविता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएं💐

Language: Hindi
48 Views
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