विश्वास
विश्वास करो दिन बदलेगा
होते सब दिन समान कहाँ ?
बहती नदियाँ झरने पर्वत
कब रहें जमाकर जड़ें यहाँ ?
मेहनत से जो मुँह मोड़ोगे,
जंजीरें कैसे तोड़ोगे ?
राहों के काँटे,बाँहों से
कैसे बोलो तो तोलोगे ?
अँधेड़ों से घबरा कर तुम
कोने में जो छुप जाओगे,
बोलो, प्रकाश में जीवन का
मीठा फल कैसे पाओगे !
मज़िल तो अपने श्रम से ही
पाना होता है ध्यान धरो ।
कुछ पाने को हरदम प्यारे,
कुछ खोना है यह ज्ञान करो।
जब कदम तेरे घायल होंगे,
जब जोश जवानी पायेंगे,
ये दुनिया शीश नवाएगी,
सब माथे तुम्हें चढ़ाएँगे।