विश्वास
मैं निराश हो चुका हूँ
अपनी कविताओं में छुपे
भावों के भविष्य से
जिनकी कल्पना
वर्षों पहले की थी मैंने
तुझे अपनाने की कल्पना
तुझे बस पाने की कल्पना
मेरी वह सारी कल्पनायें
बाढ़ में बहते तिनके की तरह
बह गयीं
मेरे हृदय के सागर की
उफनाती लहरों में
और
टूट गया मैं
तथा मेरा विश्वास
रूपी-अरुपी
अनगिनत खुदाओं से
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सरफ़राज़ अहमद “आसी”