विश्वास होना था
क्यूं तुम्हें पलकों को आंसुओं से भिगोना था
दर्द से जर्द चेहरे को भी हसी में फिर डुबोना था
तुम कहती हो हालत ए हाल था ख़राब उसका
ख़राब हाल लोगों से तुमको रब्त तो न बढ़ाना था
सुना है तुम उसको वो तुमको छेड़ा करता था, सच है तो
अपने दिल और दिलबर पर जरा तो यकीन होना था
~ सिद्धार्थ