‘विश्वास है’
तुम्हारा बेवजह रूठकर जाना,
दिल तक उतर न सका ए दोस्त।
तुम्हारे रूठने पर मुझे आज भी
यकीन नहीं है,
अब भी तुम्हारे लिए एक खाली पन्ना छोड़ देती हूँ,
कुछ कोमल फूलों संग।
शायद तुम कभी कुछ लिख दो ,
और कुछ न सही,
एक आड़ी तिरछी रेखा ही सही ।
ये फूल तुम्हें
कभी तो कोमलता में ढालेंगे ,
और तुम लौट आओगे ….
ऐसा विश्वास है मुझे….