विश्वास पर आघात
तेरे विश्वास पर आघात करूं तो कैसे करूं?
मैं तुझे प्यार करूं तो कैसे करूं?
तुझे मजबूत करने की ठानी हैं मैंने,
मैं तुझे कमजोर करूं तो कैसे करूं?
तू दिल नहीं दिल की धड़कन हैं मेरी,
अपनी धड़कनों से खिलवाड़ करूं तो कैसे करूं?
मैं आशा की कारण हूँ तेरी,
मैं तुझे निराश करूं तो कैसे करूं?
मैं खुद इस आश्चमंजस में फंसा बैठा हूँ,
मैं तुझे प्यार करूं तो कैसे करूं?
तुझे खोना नहीं पाना हैं मुझे,
अब तू ही बता मैं करूं तो क्या करूं?
मेरा दर्द समझ तू भी थोड़ा तो जरा,
जो मैं ना कह सकूं वो शब्द समझ थोड़ा तो जरा।
चल मैं तुझे यह विश्वास देता हूँ,
बदले में थोड़ी सी ये आस लेता हूँ।।
ना कभी तेरी इज्जत को रुसवा होने दूंगा,
ना कभी तुझे मैं शिकायत का मौका दूंगा।
ना सुनना मेरी जुबां की बात कभी,
तुम तो सुन सकते हो मेरे जज्बात सभी।।
तेरी इच्छा पे ही तेरी इच्छा जिंदा होगी,
तू अगर ना कहेगी मेरी हां कभी ना जिंदा होगी।
तेरी ममता भरी आँचल की छांव चाहिए,
ललकार तेरा हैं बस तेरा ही रहना चाहिए।।
ललकार भारद्वाज