**विश्वास की लौ**
**विश्वास की लौ**
यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,
हवा के ओट भी लेकर चिराग जलता है।
यह जज्बा ही है जो मंजिल तक पहुंचाता है,
अंधेरे को चीर, सूरज का सूरज बन जाता है।
जब राहें कठिन हों, और उम्मीदें क्षीण,
तब भी विश्वास का दीपक जलता है।
तूफ़ानों से लड़कर भी, वह थमता नहीं,
हर मुश्किल का समाधान अपने आप निकलता है।
विश्वास हो जब दिल में, कदम रुकते नहीं,
हर सपने को साकार करने की चाह में।
हर मुश्किल आसान बन जाती है,
हर संघर्ष में जीत, विश्वास की परछाई में।
चिराग की लौ हमें यह सिखाती है,
अंधेरों से लड़कर भी, उजाले की उम्मीद जगाती है।
यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,
हवा के ओट भी लेकर, चिराग जलता है।