Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jun 2024 · 1 min read

**विश्वास की लौ**

**विश्वास की लौ**

यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,
हवा के ओट भी लेकर चिराग जलता है।
यह जज्बा ही है जो मंजिल तक पहुंचाता है,
अंधेरे को चीर, सूरज का सूरज बन जाता है।

जब राहें कठिन हों, और उम्मीदें क्षीण,
तब भी विश्वास का दीपक जलता है।
तूफ़ानों से लड़कर भी, वह थमता नहीं,
हर मुश्किल का समाधान अपने आप निकलता है।

विश्वास हो जब दिल में, कदम रुकते नहीं,
हर सपने को साकार करने की चाह में।
हर मुश्किल आसान बन जाती है,
हर संघर्ष में जीत, विश्वास की परछाई में।

चिराग की लौ हमें यह सिखाती है,
अंधेरों से लड़कर भी, उजाले की उम्मीद जगाती है।
यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है,
हवा के ओट भी लेकर, चिराग जलता है।

Language: Hindi
1 Like · 11 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
सुंदर सुंदर कह रहे, सभी यहां पर लोग
Suryakant Dwivedi
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
अगर प्रेम में दर्द है तो
अगर प्रेम में दर्द है तो
Sonam Puneet Dubey
हिन्दु नववर्ष
हिन्दु नववर्ष
भरत कुमार सोलंकी
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
महकती रात सी है जिंदगी आंखों में निकली जाय।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
उसके नाम के 4 हर्फ़ मेरे नाम में भी आती है
Madhuyanka Raj
विनती
विनती
Kanchan Khanna
कलम लिख दे।
कलम लिख दे।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
सफ़ेद चमड़ी और सफेद कुर्ते से
Harminder Kaur
मुस्कुराहटों के मूल्य
मुस्कुराहटों के मूल्य
Saraswati Bajpai
फ़ेसबुक पर पिता दिवस / मुसाफ़िर बैठा
फ़ेसबुक पर पिता दिवस / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
मास्टरजी ज्ञानों का दाता
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चाय और राय,
चाय और राय,
शेखर सिंह
जाति  धर्म  के नाम  पर, चुनने होगे  शूल ।
जाति धर्म के नाम पर, चुनने होगे शूल ।
sushil sarna
23/104.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/104.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
धरा हमारी स्वच्छ हो, सबका हो उत्कर्ष।
surenderpal vaidya
..
..
*प्रणय प्रभात*
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
🙏 गुरु चरणों की धूल🙏
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
SHAMA PARVEEN
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Mahender Singh
*फिल्म समीक्षक: रवि प्रकाश*
*फिल्म समीक्षक: रवि प्रकाश*
Ravi Prakash
“हिचकी
“हिचकी " शब्द यादगार बनकर रह गए हैं ,
Manju sagar
बातों का तो मत पूछो
बातों का तो मत पूछो
Rashmi Ranjan
Exhibition
Exhibition
Bikram Kumar
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
नफ़्स
नफ़्स
निकेश कुमार ठाकुर
"पत्थर"
Dr. Kishan tandon kranti
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...