समय न मिलना यें तो बस एक बहाना है
*चाँद कुछ कहना है आज * ( 17 of 25 )
Shiftme movers and packers in hadapsar
दो जून की रोटी
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
मेरे सब्र की इंतहां न ले !
*जीवन उसका ही धन्य कहो, जो गीत देश के गाता है (राधेश्यामी छं
मैं गर्दिशे अय्याम देखता हूं।
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
मिट्टी सा शरीर कल रहे या ना रहे जो भी खास काम है आज ही करलो
फूल अब खिलते नहीं , खुशबू का हमको पता नहीं
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
ग़ज़ल (तुमने जो मिलना छोड़ दिया...)