माँ को अर्पित कुछ दोहे. . . .
There is no fun without you
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
बदलते लोग भी टीचर से कम नहीं हैं,हर मुलाकात में कुछ नया सिखा
"चुनाव के दौरान नेता गरीबों के घर खाने ही क्यों जाते हैं, गर
आवारा बादल
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
अवधपुरी की पावन रज में मेरे राम समाएं
Anamika Tiwari 'annpurna '
लड़ी अवंती देश की खातिर
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
सच तो तेरा मेरा प्यार हैं।
ముందుకు సాగిపో..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
निकल आए न मेरी आँखों से ज़म ज़म
रावण न जला हां ज्ञान जला।