मिथिला कियेऽ बदहाल भेल...
चाह नहीं मुझे , बनकर मैं नेता - व्यंग्य
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उनकी बातों में जहर घुला है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*शिव विद्यमान तुम कण-कण में, प्रत्येक स्वरूप तुम्हारा है (रा
इक ग़ज़ल जैसा गुनगुनाते हैं
सुनाओ मत मुझे वो बात , आँसू घेर लेते हैं ,
छिप न पाती तेरी ऐयारी है।
दिवाली पर कुछ रुबाइयाँ...
Don't break a bird's wings and then tell it to fly.
वफ़ा का इनाम तेरे प्यार की तोहफ़े में है,
रिस्क लेने से क्या डरना साहब
किसने कहा कि हँसते हुए चेहरे हमेशा खुशनुमा रहते हैं