विविध दोहे
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1.उपवन
पावन मन उपवन बने,धरा बनाये स्वच्छ।
पर्यावरण सुधार कर, सुख पनपे प्रत्यक्ष।।
2. हिरण
व्यग्र हिरन को देखकर,लालच करते शेर।
झपट पड़ा पुरजोर से,हुई हिरन सब ढेर।।
3. मोह
ध्यान सदा रखकर चलो,राह में कोहिनूर।
मोह जाल में मत पड़ो,रह जाओगे दूर।।
4. लक्ष्य
लक्ष्य शिखर पर हो सदा,ऊँची भरें उड़ान।
तभी मिले जग में तुझे,मानव निज पहचान।।
5. तीर
जब उड़ान भरता मनुज,मन में धर के धीर।
लक्ष्य स्वतः आकर मिले,ज्यों निशान पर तीर।।
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रचनाकार:-डिजेन्द्र कुर्रे”कोहिनूर”