विलुप्त होइत मिथिला के लोक संस्कृति घोरा (कठघोड़वा) नाच
आरौ तोरी के देखही रौ घोड़ा लथारो मारै छै? अच्छा चल त घोरावला के छू क देखबै? नै रौ अखनी खूब जोर स लथार फेकै हेलै बलू चोट लगतौ तब. इह कोनो देह टुटि जेतै की? कनि मनि चोट लगतै त कि हेतै रौ बाद मे देह झारि लेब कीने?
छै़डा मारेड़, धिया पूता, बुढ़ पुराण सब कोइ गाम घर दिस बेस मोन स घोड़ा नाच देखै जाइ छलै.
आब नै ओहेन घोड़े वला, नै ओहेन डफली बौंसली वला, आ नै ओहेन छमकी नटुए सब रहल आ नै आब तेहेन घोड़ीनाच रहलै? आ नै कतौ आब होइ छै. विलुप्त भेल जा रहलै घोड़ा नाच? पहिने गाम घर, छोट छिन बजार सब दिस घोड़ा (कठघोड़वा) नाच बेस लोकप्रिय रहै आ लोक मनोरंजन के सहज सोहनगर साधन रहै.
डफली वला डफ डफ करै, बौंसली वला बौंसरी बजबै, कैसियो वला धुन बजबै आ नटुआ मेकप केने डांर लचका के नचै आ बीच मे घोरा वला अपना कांख मे रस्सी काठ बत्ति स बनल सजल घोड़ा के टंगने नटुआ संगे रमैक रमैक के नचै.
घोड़ा वला नचैत नचैत बीच बीच धिया पूता दिसी हुड़ैक जाई, आस्ते स लथार फेकै आ छौंड़ा मारेर सब धरफरा के एक दोसर के देह पर खसै?
कोइ धांई भटका खसै त कखनो के छौंडा सब घोड़ा वला के लथारो छू के देखै त घोड़ा वला आरो हुमैक हुमैक के अपना ताले बैंड के धुन पर नचै आ धिया पूता सब घोड़ा के मुँह नांगैर छू के अपनो एक दोसरा के धकैल दै छेलै एना जेना घोड़े वला लथार फेकने होई.आ धिया पूता बुढ़ पुरान, जनिजाति सब भभा हँसै आ घोड़ा वला नचैत नचैत हुड़कैत हुड़कैत सब दिस घूमि घूमि नाच करै आ ओकरा संगे नटुआ सेहो खूब नचै आ लोक मनोरंजन होइ.
घोड़ा नाच काल लोक सब नटुआ आ घोड़ा वला के रूपैया पैसा दै, कतेक छौंड़ा सब त नटुआ के चोली मे आलपिन लगा दस पंच टकही खोंसि दै ताबे एम्हर घोड़ा वला हुड़ैक जाइ आ लोक धड़फरा के भगै आ उ ओकरा देह पर त कोइ ककरो देह पर धरफरा के खसै. नाच देखनिहार लोक सबहक किरमान लागल रहै आ लोक सब भभा भभा हंसै आ लोक सबहक नीक मनोरंजन होइत रहै. बुढ़ पुरान, जनिजाति, आ गामक गनमान्य लोक सब घोड़ा वला, नटुआ, डफली वला सबके हाथे मे रूपैया, खुदरा पाई द अशीरवादी बक्शीस दै जाइ छलै.
पहिने मिथिला मे गाम घर दिसी बियाह शादी, मूरन, मांगलिक काज सब मे घोड़ा नाच अब्बसे होइत रहै. गरीब, गिरहस्थ, लोक सब घोड़े नाच वला के बजबै आ घोड़ा नाच सब जाति वर्गक लोक देखै छलै आ लोक मनोरंजन के नीक साधन रहै घोड़ा नाच. लेकिन आब ई घोड़ा नाच बिलुप्त भेल जा रहलै? बड्ड चिंता के गप जे लोक मनोरंजक घोड़ा नाच आब कतौ देखबामे नै अबै हइ. एकरा सरंक्षित करै लै सरकार आ मिथिला समाज के आगू आबए पड़तै. आब त गामे गामे डी जे बजैए, बाई जी नचैए, अरकेसरा होइए? त के चिंता करतै केकरा बेगरता परतै आ के देखतै घोड़ा (कठघोड़वा) नाच?
लोक कलाकार सब लेल घोड़ा नाच एकटा वैकल्पिक छोट छिन रोजगार सन सेहो रहै. उ सब खेति बारी करै आ उत्सव, बिआह, मंगल काज आदि लोकोत्सव मे कलाकार नटुआ, घोड़ा बला, डफली बौंसली बला, जोकर, कैसियो बला, सब अपन प्रतिभा के देखा के जीविका कमाइ छलै. आब घोड़ा नाच नै हो रहलै त कलाकार सब परदेश कमाई लै चैल गेलै. किछ लोक कलाकार सब मुज्जफरपुर सब दिस बंचलो छै त ओकरा सब लक आर्थिक संकट के स्थिति आबि गेलै. घोड़ा नाच बुकिंग नै हेबाक कारणे अइ नाच स जुड़ल लोक कलाकार आ घोड़ा नाच आब मिथिला समाज स बिलुप्त भेल जा रहलै?
लेखक© किशन कारीगर
(©काॅपीराईट)