विराम
मेरे अनाम गीतों को तुम एक नाम दे दो
सुबह नही तो ढलती हुई एक शाम दे दो
अक्सर गीतों के लिए शब्द ढूंढता हूँ मैं
मिल जाये गर तुम्हें तो इन्हें अंजाम दे दो
बेकार बैठे हैं तमाम लोग इस महामारी में
इन बेकार बैठे लोगों को कुछ काम दे दो
मजबूर लोगो की पीड़ा लिखूँ या ना लिखूँ
हाल ए दर्द बयां करने को एक पैग़ाम दे दो
अब थक चुका हूँ मैं अवाम का दर्द देखकर
मेरी कलम को कुछ वक्त के लिए विराम दे दो
वीर कुमार जैन
17 जुलाई 2021