विरह
ऐ घनघोर घटा के काले बादल
क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ?
मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो
ऐ घनघोर घटा के काले बादल
क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ?
यूं रिमझिम रिमझिम जल बरसाना
जैसे आंखे बहती हैं
उन्हें भिगा कर समझना
यादें उनमें रहती हैं
यादों में कितनी व्याकुलता है
क्या व्याकुलता दिखला सकते हो ?
मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो
ऐ घनघोर घटा के काले बादल
क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ?
उनको अपनी चमक दिखाना
मेरी परछाई दर्शाना
विरह जलन क्या होती है
तपिश भूमि सा जल जाना
मेरी अगन, मेरी तपिश का, एक शोला भड़का सकते हो
मेरे विरह, मेरे तड़प का, एक दर्द उन्हें बतला सकते हो
ऐ घनघोर घटा के काले बादल
क्या तुम मेरा संदेशा ले जा सकते हो ?
ज्योति प्रकाश राय