विरह वेदना
जब तड़प रहा हूं मन पिया मिलन के संग। चोली चोली कह रही है बनकर के मृदंग। आस लगाकर जीना है पिया तेरे संग। क्यों रिश्ता नहीं जोड़ दें परमहंस के संग। सबवे वेदना मिट जाएगी जब लगन लगावे अतरंग। रिश्ता से रिश्ता बड़ा जब पाबे प्रभु संग। अरे क्यों विकल हुए तन के कारण। तन से तन की भूख नहीं मिटती है यही दुख धारण। नारी की यह वेदना कोई ना जाने आज। करो प्रार्थना प्रभु से तो बच जाएगी लाज।