विरह बता तुझसे विरह, कब कैसे है होय l
विरह बता तुझसे विरह, कब कैसे है होय l
रुलवाने वाले बता, तू कब कैसे रोय ll
रिस्ते रहे खडे खडे, सहज सही खुल खोल ।
बस बोल रख बडे बडे, ले बुला और बोल ।।
चरित्र रखें खरा खरा, सत चरित्र ना छोड़ l
जीवन रखें हरा भरा, द्वेषों से ना जोड़ ll
अरविन्द व्यास “प्यास”
व्योमत्न