Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 May 2022 · 1 min read

विरह का सिरा

उत्खनन
कर बैठी
मैं नि:शेष
खोजे अनगिन
अवशेष
पर लुप्त रहा
हर सिरा
अपने विरह का

स्वरचित
रश्मि लहर

Language: Hindi
2 Likes · 495 Views

You may also like these posts

हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
हसीब सोज़... बस याद बाक़ी है
अरशद रसूल बदायूंनी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
Atul "Krishn"
दौर ऐसा हैं
दौर ऐसा हैं
SHAMA PARVEEN
सभी जीव-जन्तुओं का आश्रय स्थल :- जंगल
सभी जीव-जन्तुओं का आश्रय स्थल :- जंगल
Mahender Singh
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
सुख और दुःख को अपने भीतर हावी होने न दें
Sonam Puneet Dubey
परिमल पंचपदी- नयी विधा
परिमल पंचपदी- नयी विधा
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
हमें पदार्थ से ऊर्जा और ऊर्जा से शुद्ध चेतना तक का सफर करना
Ravikesh Jha
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
जिंदादिली
जिंदादिली
Deepali Kalra
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
तुम अगर स्वच्छ रह जाओ...
Ajit Kumar "Karn"
माहिया
माहिया
Rambali Mishra
राजनैतिक स्वार्थ
राजनैतिक स्वार्थ
Khajan Singh Nain
"यादों के उजाले"
Dr. Kishan tandon kranti
समय की धारा रोके ना रुकती,
समय की धारा रोके ना रुकती,
Neerja Sharma
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Tumhe Pakar Jane Kya Kya Socha Tha
Kumar lalit
कल के नायक आज बनेंगे
कल के नायक आज बनेंगे
Harinarayan Tanha
मज़हबी आग
मज़हबी आग
Dr. Kishan Karigar
शिक्षा अर्जित जो करे, करता वही विकास|
शिक्षा अर्जित जो करे, करता वही विकास|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
■ दिवस विशेष तो विचार भी विशेष।
■ दिवस विशेष तो विचार भी विशेष।
*प्रणय*
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
तेरी आंखों की बेदर्दी यूं मंजूर नहीं..!
SPK Sachin Lodhi
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
వీరుల స్వాత్యంత్ర అమృత మహోత్సవం
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
*अहमब्रह्मास्मि9*
*अहमब्रह्मास्मि9*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वयंभू
स्वयंभू
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
4617.*पूर्णिका*
4617.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"You’re going to realize it one day—that happiness was never
पूर्वार्थ
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
वक्त के साथ लड़कों से धीरे धीरे छूटता गया,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कोशिशों  पर  यक़ी  करो  अपनी ,
कोशिशों पर यक़ी करो अपनी ,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...