विरहन
मोरे श्याम सलोने आ जाओ।
अब ना हमको तड़पाओ ।।
तेरी राह देख थक गई अंखियां।
मोहे ताना मार सताएं सखियां।।
झर झर नैनों से बहे अंसुआ।
मोहे सारी रात ना आए निंदिया।।
मोरी प्रीत को ना ठुकराओ।
मोरे श्याम सलोने आ जाओ।।
मोसे छल कर छलिया ने प्रेम किया।
तोसे नैन लड़ाकर जले जिया।।
मोरे तन में प्रान रहें जब तक।
तोरे दरस ना हों जाएं तब तक।।
मोरी अरज प्रभु अब सुन जाओ।
मोरे श्याम सलोने आ जाओ।।
मोहे रिझा गई तोरी बांसुरिया।
मोरे जिया में बसे हैं सांवरिया।।
मैं बिरहन तोरी प्रीत की मारी।
मैं तो भूल गई हूं सुध बुध सारी।।
मोहे येंसे मत बिसराओ।।
मोरे श्याम सलोने आ जाओ।
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)