वियोग के दोहे
********* वियोग के दोहे ********
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1
हृदय में है अगन लगी,भीगें दोनों नैन।
जोगन मीरा प्रेम में,लूटा हिय का चैन।।
2
प्रीत में है मगन हुई,भूल गई संसार।
पागल हुई वियोग में,बहती आँसू धार।।
3
पींघ प्रेम की झूलते,दो पंछी दिन – रात।
नैनों में प्रमोद भरा, पागलों जैसी बात।।
4
प्यार की है वर्षा हुई,भीगे हिय के मीत।
झूम – झूम कर नाचते,गाते- नग़मे गीत।।
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)