#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
#विभाजन_विभीषिका_स्मृति_दिवस
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याद करो वह बदनसीब दिन, घर में हुए पराए (देशभक्ति गीत)
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याद करो वह बदनसीब दिन, घर में हुए पराए
1)
यह चौदह अगस्त सैंतालिस, वाला दिन काला था
भारत के हिस्से को भारत, कहने पर ताला था
अब यह भारत नहीं तुम्हारा, कहते हिंसक आए
2)
यह था पाकिस्तान जहॉं हम, जय-भारत कहते थे
जहॉं भक्ति भारत की भरकर, अनगिन मन रहते थे
कैसे कहें मातरम् वंदे, देश विरोधी छाए
3)
पाकिस्तान अर्थ है इसका, ठेठ गुलामी लादी
भारत का भूभाग किंतु कब, मिली हमें आजादी
सदियों से हम रहने वाले, फिरते जान बचाए
4)
हमको मिले शिविर शरणार्थी, तन को भूखा ढोते
हम क्षत-विक्षत शव अपनों के, देख-देख कर रोते
यह बॅंटवारा था हम जिसमें, लुटे-पिटे कहलाए
याद करो वह बदनसीब दिन, घर में हुए पराए
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451