*विभाजन-विभीषिका : दस दोहे*
विभाजन-विभीषिका : दस दोहे
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(1)
बॅंटवारा इस देश का, हिंदू को अभिशाप
रहना पाकिस्तान में, फिर था समझो पाप
(2)
पुरखों का घर लुट गया, पैसा लुटा तमाम
देश-विभाजन में दिखा, व्यापक कत्लेआम
(3)
हिंदू था सहमा हुआ, यद्यपि अपना देश
पाकिस्तान नया बना, आतंकी परिवेश
(4)
भागे पाकिस्तान से, लेकर अपनी जान
धन-दौलत-धरती गई, गया मान-सम्मान
(5)
देश बॅंटा दो भाग में, मजहब इसका सार
हिंदू का ना-पाक में, ऐसे बंटाधार
(6)
शरणार्थी वह बन गए, जिनके निजी मकान
शोक-दिवस दुर्भाग्य था, बनना पाकिस्तान
(7)
जो भागा वह बच गया, उसकी थी तकदीर
जो पकड़ा मारा गया, बॅंटवारे की पीर
(8)
ट्रेन खचाखच थी भरी, बदहवास थे लोग
बॅटवारे का इस तरह, लिखा भाग्य में भोग
(9)
शहर पराया हो गया, छिना सनातन देश
क्रूर विभाजन ने किया, खूनी सब परिवेश
(10)
खेत गया-घर खो गया, लूटी गई दुकान
बॅंटवारे का अर्थ यह, हिंदू का नुकसान
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451