-विपत्तियों में धैर्य को धारण करने वाला मनुष्य जीवन मे सफ़ल होता है-
-विपत्तियों में धैर्य को धारण करने वाला मनुष्य जीवन मे सफ़ल होता है-
विपत्तियों विपरीत परिस्थितियों में धैर्य (धीरज)को धारण करके रखता है वही मनुष्य अपने जीवनकाल में सदा सफल होता है जीवन का यही मर्म है ,
मनुष्य को अपने कर्म अच्छे रखने चाहिए,सद्कर्म करते हुए मनुष्य सदगति को प्राप्त करता है किसी की अच्छाई व बुरे समय , व मजबूरी का गलत फायदा उठाने वाले तत्काल तो खुश रहते है किंतु भावी जीवन मे वे वह उनकी संताने दुःखी होती है ,
कहा भी गया है कि पिता के कर्मो की सजा उसके पुत्र को भी भुगतनी पड़ती है ,
इसलिए व्यक्ति को ऐसे कर्म नही करने चाहिए जिससे उसको व उसकी भावी पीढ़ी उसके पुत्र को उसके पाप कर्मों की सजा भुगतनी पड़े,
जहा तक हो सके सभी के कल्याण व भला ही सोचना चाहिए ,
किसी को गलत तरीके से फसाना व किसी कि बुराई करना जबकि वो उसकी अच्छाई कर रहा है ऐसा करना सर्वथा अनुचित है ,
ईश्वर सब देखता है बुरे कर्मो का फल बुरा ही होता है ,
जैसे उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति जो पड़ोसी है उसके किसी नए कार्य मे सहयोग करता है अपना समझ कर काम करता है,
और जब उसके कार्य को उन्नति के पथ पर ले जाता है तो कोई आकर उस अच्छे काम करने वाले पड़ोसी की बुराई कर राजनीति कर उसे वहा से उस कार्य से निकालने की बात करता है व उसके खिलाफ षड्यंत्र रचता है ,
उसको उस कार्य को छोड़ना पड़ता है ,
वहा तक तो ठीक था कार्यरत रहते हुए कोई उस प्रतिष्ठित व्यक्ति के बारे में पूछता है तो उसकी पीठ पीछे बुराई करना , जिससे उस पूछने वाले के सामने उसकी बेइज्जती करना,इस कृत्य से बनाए रिश्ते भी बिगड़ जाते है नए रिश्ते तो दूर की बात है जब उस अमुख व्यक्ति को इस बारे में पता चलता है तो वो व्यक्ति अंदर से पुरी तरह से टूट जाता है,
ऐसे लोग नर्क के भागी होते है जो ऐसा कृत्य करते है नीच होते है जो भलाई करने वाले कि बुराई करते है ,
मगर उस व्यक्ति को ऐसी विपत्ति में भी धैर्य को धारण करते हुए अपने लक्ष्य की और बढ़ना चाहिए,
क्योंकि जिसका कोई नही होता उसका भगवान होता है,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
सम्पर्क सूत्र -7742016184-