विपक्ष की राजनीति क्यों है जरूरी..??
कह रहे हैं लोग
राजनीति हो रही
जो हार चुके थे
उनके उठने की
अनीति हो रही ।
बेकार का हल्ला
मचा है
काम धंधा सब
रुका है
जो हो गया
वो हो चुका
अब राजनीति हो रही ।
मालिक का
क्या दोष है..?
दे दिया न्याय
का भरोसा
अब बाकी क्या सोच है
आंसुओं की नदियाँ
जबरन जज्बात ढों रही
अब बस राजनिति हो रही ।
दलगत स्वार्थ से
आँखे तो खोलो
बन जाओ जनता
शासन का ईमान तोलो
जब नीति अनीति
हो जाय
और जनता शोषित
हो जाय
विपक्ष ही एक उम्मीद है
सत्ता की उड़ाये जो
नींद है।
सत्ता नही देती
जनता का साथ
उसे चाहिए
सब रस्ता साफ
जो न्याय की मांग
करेगा
वही देश विरोधी
चार कंधे चढ़ेगा ।
वोट चाहिए
तब तक हम अच्छे है
शपथ लेने के बाद
सब इनकी आँखों में चुभते है
तोड़ने इनकी मगरूरी
विपक्ष की राजनीति हो
जाती जरूरी ।
सत्ता की ईगो
हिमालय सी विराट है
उसके सामने
जनता की क्या औकात है ।
सत्ता को कैसे
समझाओगे..?
उसकी गलती कैसे
बतलाओगे ..?
हर व्यवस्था सत्ता
के पास है
पुलिस प्रशासन
हर हथियार उसके
हाथ है
फिर भी हो जाते अन्याय
ये कैसी बात है ।
कानून की भी
अपनी भाषा है
जिसे जंगल नही
इंसानी समाज बनाता है
न्याय देने में
हर बार क्यों होती है देरी.?
विपक्ष की राजनीति
हो जाती जरूरी ।
जनता पर ना कोई
हथियार है
तानासाही मिटाये
ना कोई ऐसी तलवार है
हो हल्ला ही
जनता की ताकत है
विपक्ष इसे मजबूत बनाये
लोकतंत्र
ऐसे ही परिभाषित है।
न्याय आशा नही
अधिकार है
हर नागरिक की
रक्षा का आधार है
सत्ता इसे सुनिश्चित करे
तभी लोकतंत्र साकार है।
जनता ही है
माँ भारती
इसी शक्ति से
हर सरकार दहाड़ती
अन्याय करो जनता साथ
फिर कैसे खुशहाल
होगी माँ भारती ।
हिटलर ना बनो
कानून में रहो
राजा ना बनो
लोक सेवक रहो
जनता के दुःख-दर्द
का नेतृत्व करो
वोट बदले
यही शपथ मांगती है
माँ भारती….