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6 Apr 2021 · 1 min read

विनोद सिल्ला के दोहे

विनोद सिल्ला के दोहे

सेहत सुविधा कम हुई, बढ़े बहुत से रोग|
दाम दवाओं के बढ़े, तड़प रहे हैं लोग||

अस्पताल के द्वार पर, बड़ी लगी है भीड़|
रोग परीक्षण हो रहे, सबकी अपनी पीड़||

ऊंचे भवन बना लिए, पैसा किया निवेश|
दूर हुआ जब प्रकृति से, पनपे सभी कलेश||

खान-पान भी बदल गए, फास्ट-फूड परवान|
रोगों की भरमार को, झेल रहा इंसान||

करे दोहन कुदरत का, प्रबल स्वार्थ का भाव|
रोगी कंचन देह हुई, डगमग डोले नाव||

मानव शरीर भेंट है, कुदरत की अनमोल|
रख इसको संभाल के, मिले ना किसी मोल||

“सिल्ला” शरीर साध बन, अपना दीपक आप|
अपने ज्ञान उजास से, सारे तम को ढाप||

-विनोद सिल्ला

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 372 Views
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