विनोद सिल्ला की कुंडलियां
आए मेरे द्वार पर
आए मेरे द्वार पर , बहुत दिनों के बाद |
भूल गए थे मुझे तुम , अब आई है याद ||
अब आई है याद , अभिनंदन है आपका |
खिला हृदय का फूल, तपन था विरह आग का||
कह सिल्ला कविराय , बहार हो संग लाए|
भाग हमारे धन्य , आप जो द्वारे आए ||
-विनोद सिल्ला©