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6 Oct 2020 · 1 min read

विनोद सिल्ला की कुंडलियां

आए मेरे द्वार पर

आए मेरे द्वार पर , बहुत दिनों के बाद |
भूल गए थे मुझे तुम , अब आई है याद ||
अब आई है याद , अभिनंदन है आपका |
खिला हृदय का फूल, तपन था विरह आग का||
कह सिल्ला कविराय , बहार हो संग लाए|
भाग हमारे धन्य , आप जो द्वारे आए ||

-विनोद सिल्ला©

1 Like · 171 Views
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