विनेश भोगाट
हर किसी की जुबान पर अब उसका ही नाम है,
व्हाट्सएप की डीपी भी अब उसके ही नाम है,
अकेली रोई वह न्याय मांगने सत्ता के सामने,
सड़कों पर घसीटा गया उसे माता-पिता के सामने,
अखबारों में खबरें चली उसे देशद्रोही दिखाकर,
चरित्र भी उछाला गया उसे द्रोपदी बताकर,
तमाम लगे आरोप उसे खोटा सिक्का भी बताया,
उस समय सब मौन थे कोई साथ ना आया,
गर्व हुआ चूर-चूर खून के आँसू आँखों से आने लगे,
धरासायी हुआ आत्मबल मैडल गंगा में बहने लगे,
डरा हुआ था देश सारा बाहुबली राजा के खौफ से,
कुछ हँस रहे थे नीयतखोर भेड़िये उसके ही झुंड के,
आज उसी लड़की के हाथों में तिरंगा की लाज है,
तिरंगा ऊपर हो रहा है उसकी मेहनत का इनाम है,
आज उसी लड़की पर देश को अभिमान है,
उसके धैर्य, जज्बे और मेहनत को सलाम है।।
prAstya…..(प्रशांत सोलंकी)