विनती
शिखरिणी चंद
है दीना नाथ
अर्ज सुनो मेरी
चेरी हूँ तेरी।
कष्टों की वर्षा
ये मन घबराए
परीक्षा मेरी।
थकी है सांसे
थका है तन मन
सुधि लो मेरी।
अंत समय
तुम ही तुम रहो
कामना मेरी
श्वांसे मुक्त हों
मिलजाए दर्शन
कृपा हो तेरी।
शिखरिणी चंद
है दीना नाथ
अर्ज सुनो मेरी
चेरी हूँ तेरी।
कष्टों की वर्षा
ये मन घबराए
परीक्षा मेरी।
थकी है सांसे
थका है तन मन
सुधि लो मेरी।
अंत समय
तुम ही तुम रहो
कामना मेरी
श्वांसे मुक्त हों
मिलजाए दर्शन
कृपा हो तेरी।