विनती
विनती करूँ हे जननी,
तेरी शरण में आ कर।
तेरी शरण में आई,
थोड़ी भी न भिक्षा पाई,
विनती करूँ हे माता,
माँ बन न तू कुमाता, माँ बन न तू कुमाता।
बच्चा विलट रहा है,
अबला विलख रही है,
दर्शन लिए हे जननी,
वृध भी शरण पड़े हैं,
ममतामयी हे माता,
माँ बन न तू कुमाता, माँ बन न तू कुमाता ।
हजार नेत्र वाली,
जीवन पड़ी है खाली,
कोई नयन से देखो,
जग को माँ तू काली,
करूणामयी हे माता,
माँ बन न तू कुमाता ।माँ बन न तू कुमाता ।
सगर को तूने तारा,
तुलसी को तू ने पाला,
क्या दोष माँ हमारा,
विनती गया गबारा,
तीनों भूवन की माता,
माँ बन न तू कुमाता,
विनती करूँ हे जननी तेरी शरण में आ कर ।
उमा झा