विनती
ब्रज भाषा में वंदना
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विनती
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विनय करहू कर जोर री, रवि मोरे दमकै अँगना ।
करियो कृपा की कोर री, शशि मोरे चमकै अँगना ।।
मन छायौ कारौ अॅधियारौ ,
सोयौ है माॅ ! ज्ञान हमारौ ,
तेरेहि हाथन डोर री, उर मेरौ महकै अँगना ।१
माया में भरमायौ डोलूँ ,
कैसे बन्द किवरियाँ खोलूँ ,
ऐसै दै झकझोर री, मन मेरौ किलकै अँगना ।२
तान सुनूँ वीना की प्यारी,
बीतै चरन उमरिया सारी,
तू चंदा मैं चकोर री, रस ,बरसै जमकै अँगना ।३
आ जा माँ ! आवाहन तेरौ,
सरसै री व्याकुल मन मेरौ,
नित हो रसीली भोर री, माँ ! अमरत छलकै अँगना ।४
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-महेश जैन ‘ज्योति’
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