विनती सुन लो हे ! राधे
वृन्दावन की प्यारी रानी,
करुणामयी वृषभानु सुता l
कृष्णा के चरणों में जागे प्रीती
ज्ञान की ऐसी ज्योति जगा ll १ ll
अनर्थ का ऐसा पहाड़ ह्रदय में,
लेश मात्र भी ना डिगता ह्रदय से l
अजगर की भाँति ये माया है जकड़े,
जाने न कैसे इस फांस से निकले ll २ ll
जन्मो जन्मो से भटक रहे ,
माया में सुख को ढूंढ रहे l
मृग तृष्णा में सुख को ढूँढ़ते ढूंढते,
असन्तोष का सागर उमड़ा ह्रदय में ll ३ ll
कृष्णा ही हैं जो माया से निकाले ,
और तुम उनकी प्राण प्रिये हो राधे l
तेरी कृपा से कृष्णा मिलते ,
कृष्ण कृपा से मिलती राधे ll ४ ll
बुद्धि बहुत तुच्छ है मेरी,
जो तेरी कृपा का गान करू l
बस इतनी विनती सुन ले राधे ,
कृष्ण के चरणों में रति लगा दे ll ५ ll
राधे कृष्णा राधे कृष्णा,
शांत करा दे ह्रदय की तृष्णा l
रज कण जितनी भी भक्ति कर लू ,
तर जाये भव बंधन की बाधा ll ६ ll