विध्वंसक
15• विध्वंसक
शून्य में उत्पन्न अनंत काल में अनंत ब्रह्मांड ।शून्य में ही अनंत दूरी पर एक अज्ञात श्याम गुफा। श्याम गुफा में बाकी ब्रह्मांडों से अनंत काल की दूरी पर अनंत काल में एक नया ब्रह्मांड विकसित हो गया था जिसका दूरस्थ पडोसी ब्रह्मांडों को पता भी नहीं था।
श्याम गुफा में ढेर सारे ग्रह थे लेकिन अपनी कारगुजारियों से दो ही ग्रह अधिक चर्चा में रहते थे ।वे थे दर्पांध और विध्वंसक ।दर्पांध के पास द्रव्यनिधि अधिक थी।विध्वंसक को अपनी आबादी पर गर्व था।दोनों के पास
वैज्ञानिक बहुतेरे थे,अधिकांश विनाशकारी और खतरनाक ।दोनों में शेष सभी ग्रहों पर चौधराहट की परस्पर होड़ थी।
खरबों कालवर्ष तक विध्वंसक शांत ग्रह बना रहा,परन्तु उसके वैज्ञानिक दर्पांध ग्रह के वैज्ञानिक विकास पर पैनी नज़र रखे रहे।अचानक विध्वंसक के मन में असुरक्षा की भावना जाग्रत हुई ।उसमें स्पंदन हुआ ।फिर किसी अशुभ कालक्षण में विध्वंसक ने एक अति विनाशकारी खतरनाक योजना बना डाली ।अपने मुखिया के निर्देश पर उसके वैज्ञानिक सुक्ष्म विनाशकारी विषाणुओं का निर्माण प्रारंभ कर दिए ।भावी सुरक्षा के मद्देनजर यह खतरनाक खेल शुरू हुआ। किन्तु ऐसे प्रलयंकर विषाणुओं का यथोचित भंडारण हो जाने के बाद विध्वंसक पर अहंकार हावी हुआ ।उसके वैज्ञानिकों ने सोचा क्यों न विषाणुओं का प्रयोग अभी असूचित, औचक रूप से दर्पांध और उसके साथी ग्रहों पर करके उसके परिणाम का आकलन किया जाए।
फिर विध्वंसक ने ऐसा ही किया।उसके विषाणु धीरे-धीरे पूरे ब्रह्मांड में फैल गए।सभी ग्रहों में अचानक स्पंदन-कंपन होने लगा ।आबादी घटने लगी।जैसे ही शेष ग्रह बचाव का कुछ उपाय करते ,विध्वंसक योजनाबद्ध तरीके से प्रवाहित विषाणुओं की क्षमतावृद्धि कर देता ।जबतक सभी ग्रह नए विषाणुओं को समझ पाते, तबतक अन्य प्रकार के विषाणु प्रवाहित होने लगते । अब विध्वंसक के आसपास इक्के-दुक्के उसके मित्रों को छोड़कर बाकी किसी ग्रह में सोचने-समझने की शक्ति क्षीण होने लगी।अंततः उनमें से एक अधिक आबादी वाले ग्रह ने साहस दिखाया और सभी ग्रहों से मंत्रणा किया कि क्यों न यथा शीघ्र सभी ग्रह अपनी बची-खुची सारी उर्जा एकत्र कर एक साथ विध्वंसक को औचक ही एक जोरदार टक्कर दें।सभी के संचार माध्यमों में हरकत होने लगी ।सभी ग्रह आंदोलित होकर सहमति जताए।विध्वंसक के वैज्ञानिकों को कब्जे में ले कर उन्हीं से इस तांडव की कहानी जानने और उसके बचाव का उपाय समझने की भी साझा सहमति बनी ।यही एकमात्र रास्ता था और यही हुआ ।हिम्मत बटोर कर सभी शेष ग्रह एक साथ विध्वंसक से टकरा गए ।विस्फोटक सिलसिला शुरू हुआ ।विध्वंसक की दोलन गति अचानक इतनी तीब्र हो गई कि वह टूट कर कभी भी शून्य में बिखर सकता था।उसके भयाक्रांत वैज्ञानिक तेजी से बाहर निकले और सभी ग्रहों को उसी कालक्षण उनके बचाव का आश्वासन दिए ।बिना एक कालक्षण की भी देरी किए सभी प्रवाहित विषाणुओं को विनष्ट कर दिया ।भंडारित विषाणु भी विनष्ट किए गए ।
अब तीन चौथाई बची आबादी के साथ सभी ग्रह शांत हो गए। विध्वंसक पर अविश्वास बना रहा ।लगे हाथ सभी ने एक सांगठनिक समझौता भी किया, भावी कालवर्षों में ऐसे खतरों से बेहतर ढंग से निबटने के लिए ।
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–राजेंद्र प्रसाद गुप्ता,12/05/2021,मौलिक/स्वरचित •