विधि का विधान
विधि का विधान
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विधि का विधान है
होनी बलवान है
होना जो वो होगा
सर्वोपरि भगवान है
मोह मत कीजिए
लोभ मत कीजिए
क्रोध मत कीजिए
श्रेष्ठतम जुबान है
त्योरी न चढाइए
मुख न छिपाइए
सदैव मुस्कराइए
मधुर मुस्कान है
मन न मुटाव हो
दिल न कटाव हो
मृदुल स्वभाव हो
जी में जहान है
सदा सच बोलिए
तोल कर बोलिए
मधुर रस घोलिए
सच्चा इन्सान है
धोखा न कीजिए
मौका न दीजिए
अहम न कीजिए
राहें सुनसान है
सुखविन्द्र सुनिए
फूलों को चुनिए
नेक दिल बनिए
खुदा फरमान है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)