विधा बाल लीला श्रीकृष्ण
जयश्रीकृष्ण
कन्हाईया तूझको पुकारे यशोदा मैया
वेणीबनावे मनहिं हर्षावे
माटीखाये देखे तौ भूमण्डलदिखावे
देखि मैया धरा गिरती
उठे सबहिं देयि भुलाये
गले लगाये मनहिं भरमाये
कहे सखी ऐसे कान्हा कै शरणहिं
अबहिं क्यों नहिं चलि जावे
सज्जो चतुर्वेदी*********