विधा कविता क्या कहूँ
क्या कहूँ
वो आई चुपके से कार पे क्या कहूँ।
आज टीम ने पकड़ा मैं क्या कहूँ।।
पुलिस हाथ मलते रह गयी क्या कहूँ।
बेटी होने की दुहाई दी कया कहूँ ।।
हाथ रखने की सीमारेखा क्या कहूँ ।
अपनी बेटी को नही बुलाता क्या क्यूँ।।
पत्नी को नही पुकारता क्या कहूँ ।
बच्चों को नहीं पूकारता क्या कहूँ।।
दर्दभरे स्वर रटा रटाया पाठ क्या कहूँ।।
भागीमसूमोंकी जानसे खेली क्या कहूँ ।
पापा कहने वाली कितनेपाप और क्या कहूँ।।
मासूम गोद ली जाती शादीशुदा नही क्या कहूँ।।
पापिनी पाप फूटा जुल्मों का अंत क्या कहूँ।
निर्दोष मारे गये सामने खड़ी होती दुआएँ क्या कहूँ।।
सज्जो चतुर्वेदी*****