“विधान”
एक एक करके शाख से सूखे पत्ते झड़ गए।
नवीन पत्ते फनगे और फिर धीरे से बढ़ गए।
उत्थान और पतन तो विधान है विधाता का,
वो भी मिटे जो नियति बदलने को अड़ गए।
-शशि “मंजुलाहृदय”
एक एक करके शाख से सूखे पत्ते झड़ गए।
नवीन पत्ते फनगे और फिर धीरे से बढ़ गए।
उत्थान और पतन तो विधान है विधाता का,
वो भी मिटे जो नियति बदलने को अड़ गए।
-शशि “मंजुलाहृदय”