विधाता छंद
विधाता छंद, प्रथम प्रयासः
मापनी- 1222 1222, 1222 1222
मरीजों सा हुआ है अब, हमारा हाल कुछ ऐसा ।
सुने हर बात दिल की जो, हमारा यार है ऐसा ।।
गयी क्यों फेर के नजरें, ज़माने के बहाने से ।
इशारो में दिया उसने, मुझे पैगाम कुछ ऐसा ।।
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मिली है जिंदगी हमको, करो कुछ नाम दुनियां में ।
करे मेहनत सफलता की, बने पहचान दुनियां में ।।
जवानी में अभी से तुम, नया इतिहास रच देना ।
तिरंगा हो कफ़न मेरा, लहू से नाम रच देना ।।