विधना की तुम पर दृष्टि है
कितनी ही चाल
चले ये वक्त ,
आज भले ही मात दे ।
किन्तु सभी चालों
पर उसकी,
निश्चित अपनी
है शै होगी।
कभी अधूरे
न रह जाओ
इसीलिए ये
तपन मिली है ।
निखरोगे
तपकर कुंदन सा
विधना की तुम पर
दृष्टि है ।
कितनी ही चाल
चले ये वक्त ,
आज भले ही मात दे ।
किन्तु सभी चालों
पर उसकी,
निश्चित अपनी
है शै होगी।
कभी अधूरे
न रह जाओ
इसीलिए ये
तपन मिली है ।
निखरोगे
तपकर कुंदन सा
विधना की तुम पर
दृष्टि है ।